एक बार अवश्य पढ़ना .....
नर्मदा नदी से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं:
स्कंद पुराण के मुताबिक, राजा हिरण्य तेजा ने भगवान शिव से नर्मदा जी को पृथ्वी पर लाने का वरदान मांगा था. इसके बाद, भगवान शिव की आज्ञा से नर्मदा जी मगरमच्छ पर बैठकर उदयाचल पर्वत से उतरीं और पश्चिम की ओर बहने लगीं!
एक और कथा के मुताबिक, भगवान शिव मैखल पर्वत पर तपस्या में लीन थे, तब उनके पसीने की बूंदों से नर्मदा का जन्म हुआ था! इस वजह से, नर्मदा को भगवान शंकर की पुत्री भी माना जाता है!
नर्मदा, राजा मैखल की पुत्री थीं और उनकी खूबसूरती और गुणों की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी. जब नर्मदा विवाह योग्य हुईं, तो राजा मैखल ने घोषणा की कि जो भी राजकुमार गुलबकावली का फूल लेकर आएगा, उसकी शादी नर्मदा से होगी. इसके बाद, राजकुमार सोनभद्र ने गुलबकावली का फूल लेकर लाया और नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया. हालांकि, नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फ़ैसला किया.
नर्मदा नदी से जुड़ी कुछ और खास बातें:
- नर्मदा, गोदावरी और कृष्णा के बाद भारत की तीसरी सबसे लंबी नदी है!
- यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात राज्यों से होकर बहती है!
- नर्मदा को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है!
दूसरा प्रसंग....
नर्मदाजी ने कहा - ’ब्रह्मा जी यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे गंगाजी के समान कर दीजिए।
ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा - ’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है। ब्रह्माजी की बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं।
भगवान शंकर उनपर बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा...
नर्मदा ने कहा - ’भगवन् .......तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति बनी रहे।नर्मदा की बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हो गए और बोले - ’नर्मदे .....तुम्हारे तट पर जितने भी प्रस्तरखण्ड (पत्थर) हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंगरूप हो जाएंगे। गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सब पापों का नाश करती हैं परन्तु तुम दर्शनमात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी। तुमने जो नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा।
भगवान शंकर उसी लिंग में लीन हो गए। इतनी पवित्रता पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गयीं। इसलिए कहा जाता है ‘नर्मदा का हर कंकर शंकर है।
हर हर महदेव।। हर हर महदेव।। हर हर महदेव।। हर हर महदेव।। हर हर महदेव।।
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हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही।
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