एक बार अवश्य पढ़ना .....
श्री हनुमानजी और शनिदेव का अनसूलझा प्रसंग---
शनिदेव का नाम आते ही लोगों को उनके प्रकोप का भय लगने लगता है। कोई भी शनिदेव को रुष्ट नहीं करना चाहता और उन्हें प्रसन्न करने के अलग-अलग तरीके ढूंढता है। कहते हैं कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें यह अधिकार कैसे प्राप्त हुआ? उन्हें एक बार भगवन शिव ने पीपल के पेड़ से 19 वर्षों तक लटकाकर रखा था। उन्होंने ऐसा क्यों किया था, शनिदेव को ऐसी सजा क्यों दी थी, चलिए जानते हैं...
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्यदेव ने अपने सभी पुत्रों को उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें अलग-अलग लोक बाँट दिए लेकिन शनिदेव अपनी शक्ति के अहंकार में चूर इस बात से खुश नहीं थे। इसलिए, उन्होंने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए बाकी लोकों पर भी अधिकार जमा लिया।शनिदेव की इस हरकट से सूर्यदेव बहुत दुखी थे और वो मदद माँगने भगवान् शिव के पास पहुंचे। भगवान् शिव ने सूर्यदेव की आराधना पर अपने गणों को शनिदेव से युद्ध करके के लिए भेजा, लेकिन शनिदेव ने सभी को परास्त कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर स्वयं शनिदेव से युद्ध करने आये। शनिदेव ने भगवान शंकर पर मारक दृष्टि डाली, तो भगवन शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर शनिदेव के अहंकार को तोड़ दिया।
शनिदेव को सबक सिखाने के लिए भगवान् शिव ने उन्हें 19 वर्षों तक पीपल के पेड़ से उल्टा लटका दिया। इन्ही 19 वर्षों के दौरान शनिदेव भगवान शंकर की उपासना करते रहे। यही वजह है कि शनि की महादशा 19 वर्षों की होती है। पुत्र की यह दशा सूर्यदेव से देखी नहीं गयी। उन्होंने भगवान् शिव से अपने पुत्र की ग़लती की माफी माँगी और भगवान शिव से शनिदेव के लिए जीवनदान भी माँगा। इसके बाद भगवान शिव ने शनिदेव को मुक्त कर दिया और भगवान शिव ने शनिदेव को उनकी शक्तियों का प्रयोग न्यायसंगत तरीके से करने का आशीर्वाद दिया है। उसके बाद से शनिदेव उनके मार्गदर्शन के अधीन रहते हैं। भगवन शिव ने शनिदेव को अपना शिष्य बनाकर उन्हें दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है क्योंकि शनिदेव न केवल भगवान् शिव के प्रति बहुत आदर रखते हैं बल्कि उनसे डरते भी हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा से शनिदेव का क्रोध शांत होता है और व्यक्ति को शनि दोष से राहत मिलती है।
श्री राम रक्षा स्त्रोत मंत्र....
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने।।
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हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही।
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