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जिस घर में श्री रामचरितमानस का पाठ होता है...


एक बार अवश्य पढ़ना .....

जिस घर में श्री रामचरितमानस का पाठ होता है उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती। आगे पढ़ें.....

  1. जिस घर में 1 माह में मात्र पूर्णिमा को प्रति माह रामायण का पाठ होता है उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है।
  2. जिस घर में श्री रामचरितमानस रखी होती है वहां कभी भूत, पिशाच, प्रेतों का वास नहीं होता है।
  3. जिस घर में रामायण के पास शाम के समय दीपक जलाया जाता है उस घर में अन्न की कमी कभी नहीं होती है।
  4. जिस घर में श्री रामचरितमानस के पास सुबह शाम दीपक प्रतिदिन जलाया जाता है उस घर में आरोग्य बढ़ता है। बीमारियां कम होती हैं।
  5. जिस घर में यदि श्री रामचरितमानस की शाम के समय दीपक जलाकर श्री रामचरितमानस की आरती प्रतिदिन होती है उस घर पर श्रीराम जी की कृपा सदैव रहती है और घर में शांति का वातावरण रहता है। प्रभु की कृपा रहती है।
  6. जिस घर में प्रति सप्ताह रामायण का पाठ होता है उस घर पर श्रीराम जी व माता सीता जी की कृपा सदैव रहती है। उस घर में बच्चों की वृद्धि होती है।
  7. जिस घर में प्रतिदिन रामायण का पाठ होता है। उस घर पर भगवान शिव, श्रीराम जी, सीता जी, श्री हनुमानजी, शनिदेव, नव ग्रह, 33 कोटि देवी देवताओं की सदैव कृपा रहती है।
  8. उस घर से दरिद्रता भाग जाती है, उस परिवार का यश बढ़ने लगता है, उस घर पर साक्षात माँ लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। बच्चों को कभी भय नहीे लगता है। भूत, प्रेत, पिशाच वहां प्रवेश नहीं कर सकते हैं । वह घर सुख, शान्ति, समृद्धि, धन, अन्न, संतान, मित्र, पड़ोसी, रिश्तेदारों आदि से परिपूर्ण होता है।
  9. रामायण की एक एक चौपाई लाखों मंत्रो के बराबर है और हर चौपाई कुछ न कुछ देने वाली है। हर भारतीय के घर में रामायण होनी चाहिये।

श्रीरामचरित्रमानस के रचनाकार तुलसीदास जी वंदना के क्रम में श्रीराम की सेना उपस्थित सभी सेवकों को प्रणाम करते हैं साथ ही ऋषि, मुनियों की वंदना करते हैं। श्रीराम एवं सीता जी से निर्मल बुद्धि की मांग करते हैं। आज हम लोग उनको समझते है और मानस का अध्ययन करते हैं...


कपिपति रीछ निसाचर राजा ।  अंगदादि जे कीस समाजा।। 

बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए।। 

अर्थ- इसमें तुलसीदास जी कहते हैं वह वानरों के राजा सुग्रीव, रीछों के राजा जाम्बवान, राक्षसों के राजा विभीषण और अंगद आदि जितना वानरों का समाज है, सबके सुन्दर चरणों की मैं वन्दना करता हूं, जिन्होंने अधम यानि पशु और राक्षस आदि  शरीर में जन्म लेकर भी श्री रामचन्द्र जी की सेवा करते हुए त्रेतायुग में उन्हें  प्राप्त किया।

रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते ।। 

बंदउँ पद सरोज सब केरे । जे बिनु काम राम के चेरे ।।

अर्थ- तुलसीदाल जी के अनुसार पशु, पक्षी, देवता, मनुष्य, असुर समेत जितने श्रीराम जी के चरणों के उपासक हैं, तुलसीदास जी कहते हैं मैं उन सबके चरण कमलों की वन्दना करता हूं, जो श्रीराम जी की सेवा बिना किसी कामनाओं एवं लोभ के करते हैं

सुक सनकादि भगत मुनि नारद।  जे मुनिबर बिग्यान बिसारद ।। 

प्रनवउँ सबहि धरनि धरि सीसा।  करहु कृपा जन जानि मुनीसा।। 

अर्थ- श्री रामचरित्रमान में तुलसीदास जी वर्णन करते हैं कि शुकदेवजी, सनकादि, नारदमुनि आदि जितने भक्त और परम ज्ञानी श्रेष्ठ मुनि हैं, मैं धरती पर सिर टेक कर उन सबको प्रणाम करता हूं, हे मुनीश्वरों आप सब मुझको अपना दास जानकर कृपा कीजिए। 

जनकसुता जग जननि जानकी ।  अतिसय प्रिय करुनानिधान की ।। 

ताके जुग पद कमल मनावउँ ।  जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ ।।

अर्थ- इस मानस मंत्रार में तुलसीदास जी कहते हैं कि मैं राजा जनक की पुत्री, जगत की माता और करुणा निधान श्री रामचन्द्र जी की प्रियतमा श्री जानकी जी के दोनों चरण कमलों को मैं मनाता हूं, जिनकी कृपा से निर्मल बुद्धि पाउँ।

पुनि मन बचन कर्म रघुनायक।  चरन कमल बंदउँ सब लायक।। 

राजिवनयन धरें धनु सायक ।  भगत बिपति भंजन सुखदायक ।। 

अर्थ- इस मानस में तुलसीदास जी कहते हैं मैं मन, वचन और कर्म से कमल नयन, धनुष-बाण धारी, भक्तों की विपत्ति का नाश करने और उन्हें सुख देने वाले भगवान् श्री रघुनाथ जी के सर्व समर्थ चरण कमलों की वन्दना करता हूं।

गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न। 

बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न।। 

अर्थ- इसमें किए उल्लेख के अनुसार जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं,परन्तु वास्तव में एक हैं, उन श्री सीता राम जी के चरणों की मैं वन्दना करता हूँ, जिन्हें दीन-दुखी बहुत ही प्रिय हैं। 

श्री राम रक्षा स्त्रोत मंत्र....

राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने।।

राम राम करने के कितने फायदे है ?

राम नाम जप के लाभ

‘राम’ नाम का जाप वैदिक परंपरा और भक्ति मार्ग में अत्यंत शक्तिशाली और कल्याणकारी माना गया है। यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक प्रभाव डालता है। श्री राम के नाम का स्मरण जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और शांति लाने में सहायक होता है।

कष्टों और बाधाओं का निवारण

राम नाम का जप करने से जीवन में आने वाले कष्ट और बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं। इसे ‘संकट मोचन’ कहा गया है, क्योंकि इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में उपस्थित नेगेटिव एनर्जी को समाप्त कर देता है। जब भी व्यक्ति किसी कठिनाई से घिरा होता है, ‘राम-राम’ का स्मरण उसके मन को दृढ़ता और साहस प्रदान करता है।

मानसिक शांति और सकारात्मकता

राम नाम का जाप मानसिक शांति प्रदान करता है। यह व्यक्ति के विचारों को स्थिर करता है और तनाव को दूर करता है। जाप के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है, जो उसके जीवन में संतुलन और स्थायित्व लाती है। जब मन शांत और स्थिर होता है, तो निर्णय लेने की क्षमता भी बेहतर होती है।

आध्यात्मिक उन्नति

राम नाम जप केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति का भी एक सशक्त माध्यम है। इसके निरंतर जाप से व्यक्ति को ब्रह्मज्ञान की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है। यह भक्ति, समर्पण और आत्मा की शुद्धि का साधन बनता है। राम नाम का जाप करने वाले लोग अपने जीवन में गहरे आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

सफलता और समृद्धि

ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राम नाम का जाप व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि लाने में सहायक होता है। यह जाप व्यक्ति के कर्मों को शुभ बनाता है और उसके प्रयासों में सफलता सुनिश्चित करता है। जब मन में विश्वास और सकारात्मकता होती है, तो हर कार्य सुगमता से पूर्ण होता है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

राम नाम के निरंतर जाप से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। जाप के दौरान कंपन (vibrations) उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के ऊर्जा केंद्रों (chakras) को सक्रिय करते हैं। यह व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाता है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

राम नाम का जप करने से व्यक्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल व्यक्ति के भीतर शांति और संतोष उत्पन्न करता है, बल्कि उसके आसपास के वातावरण को भी शुद्ध करता है। इससे परिवार और समाज में भी सौहार्द का निर्माण होता है।

राम नाम का स्मरण केवल आध्यात्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण जीवन को रूपांतरित करने की शक्ति रखता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ जपने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक ज्ञान, और भौतिक सफलता प्राप्त होती है। चाहे किसी भी परिस्थिति में हों, ‘राम-राम’ का जप एक ऐसा अमृत है, जो हर कष्ट और बाधा का निवारण कर सकता है।

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दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे  लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।

हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही।


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