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हमारा कुछ नहीं बचा... महाकुंभ मेला क्षेत्र में लगी आग पर क्या बोले- गीता प्रेस के ट्रस्टी
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 में आग लगने की घटना को लेकर हलचल तेज है। शाम करीब 4:30 बजे सेक्टर 19 में गीता प्रेस ट्रस्ट के शिविर में आग लगी। इस आगलगी की घटना को लेकर कई प्रकार के दावे किए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि आग लगने की घटना सिलिंडर लीक के कारण हुई। हालांकि, इस मामले में गीता प्रेस के ट्रस्टी का बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने इस घटना को लेकर एक आशंका जाहिर की है। आग लगने की घटना के बाद मेला क्षेत्र में दहशत का माहौल है। घटना की जानकारी मिलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया।गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र में लगभग 180 कॉटेज बने हुए थे। हमने बहुत सावधानी से इनका निर्माण कराया था। शिविरों में रहने वाले सभी लोगों को मना किया गया था कि किसी प्रकार का अग्नि का कोई काम न करें। जहां हमने सीमा बनाई, उसके पार सर्कुलेटिव एरिया घोषित की गई थी। पता नहीं प्रशासन ने वह जगह किसे दी? पश्चिम की तरफ से चिंगारी जैसी कोई चीज आने का दावा वे करते दिख रहे हैं।कृष्ण कुमार खेमका ने बताया कि सर्कुलेटिव एरिया की तरफ से अग्नि की कोई चीज हमारे तरफ आई और आग फैल गई। हमारा कुछ नहीं बचा सब खत्म हो गया। हमारी रसोई टीन शेड की थी, पक्की थी। उन्होंने कहा कि यह शिविर अखिल भारतीय धर्म संघ और गीता प्रेस की ओर से संयुक्त रूप से लगाया गया है। आग लगी तो कुछ भी नहीं बचा। यह आप भी देख रहे हैं। ट्रस्टी की सफाई पर अब चर्चा शुरू हो गई है। आखिर तमाम व्यवस्था के बाद भी आग कैसे लगी? इस पर प्रशासन की जांच के बाद ही सही तस्वीर सामने आ पाएगी। एडीजी से लेकर एसपी तक ने जांच की बात कही है।
महाकुंभ नगर (Mahakumbh Mela 2025)। महाकुंभ में लगी भीषण आग बुझने के बाद भी तमाम प्रत्यक्षदर्शियों के दिमाग में वह दृश्य चित्रित होता रहा। अलग-अलग टेंट में रहने वाले लोग आग और धुआं उठते ही सामान लेकर भाग निकले। कुछ ने अपने परिवार के सदस्यों को बाहर निकाले और सामान हटाने में जुट गए। तब तक पुलिस और अग्निशमन की गाड़ियां सायरन बजाते हुए तेजी गति से आने लगीं। कुछ ही देर में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने राहत व बचाव कार्य के लिए मोर्चा संभाल लिया।
- गोरखपुर निवासी देवेंद्र तिवारी ने बताया कि वह आग से करीब 200 मीटर दूर थे। अचानक उड़ती हुई चिंगारी दिखाई दी और फिर कुछ ही क्षण बाद आग की लपटें आसामान की ओर उठने लगीं। वह मदद के लिए आगे बढ़े लेकिन एक पुलिसकर्मी ने रोक दिया।
- तब उनकी दृष्टि दूसरी तरफ पड़ी तो लोग अपने-अपने टेंट से गैस सिलिंडर और रजाई, गद्दा समेत अन्य सामान बाहर निकालने लगे। कुछ देर बाद पटाखे की तरह सिलिंडर फूटने लगे तो भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई, मगर पुलिस की सक्रियता ने उसे संभाल लिया। दारागंज निवासी हरिराम त्रिपाठी और शांतनु ने कहा कि आग जैसे ही लगी वह मदद के लिए आगे बढ़े लेकिन जाने को नहीं मिला।
- अग्निशमन, पुलिस, एनडीआरएफ की टीम थोड़ी ही देर में आकर आग बुझाने में जुट गई। कानपुर की विमला देवी ने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आया कि अचानक शिविर में आग कैसे लगी, लेकिन लगातार पटाखे जैसी आवाज सुनाई देती रही। यह क्रम काफी देर तक चलता रहा। इस दौरान सभी लोग हैरान-परेशान थे।
- उधर, सेक्टर 19 के सभी रास्तों और चौराहों पर पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात करते हुए वाहनों को डायवर्ट कर दिया गया। इससे यातायात प्रभावित हुआ, लेकिन लोग अग्नि दुर्घटना वाले क्षेत्र की तरफ नहीं बढ़ सके।
गीता प्रेस के 180 काटेज जले और सबकुछ जलकर खाक हो गया
गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने मीडिया को बताया कि लगभग 180 काटेज बनाए गए थे। काटेज बनाने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी। जिन्हें काटेज उपलब्ध कराया गया था, उनसे कहा गया था कि अग्नि का कोई काम नहीं करेगा। उनकी सीमा क्षेत्र से बाहर से चिंगारी आई थी,जिसके बाद आग लगी और फैल गई। इससे सबकुछ खत्म हो गया।
एडीजी जोन भानु भास्कर ने कहा कि गैस रिसाव होने के बाद आग लगने से सिलिंडर फटा था। जल्द ही आग को नियंत्रित कर लिया गया था। कोई जनहानि नहीं हुई है। लोगों से अपील है कि अफवाहों पर ध्यान न दें। श्रद्धालु अपने शिविर के रसोई घर में कपड़ा न रखें और गैस लीक होने पर तत्काल कंपनी को सूचित करें।
सांस लेना रहा मुश्किल, खांसते रहे लोग
आग लगने के बाद जैसे-जैसे धुआं फैलता गया, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। कुछ देर बाद तमाम श्रद्धालु खांसने भी लगे। उन्हें शारीरिक परेशानी हुई तो वह दूर चले गए और विकराल आग और बुझाने में जुटे जवानों को निहारते रहे। इस बीच लोग अपने-अपने सामान के जलने और हुए नुकसान की भी चिंता में डूबे रहे। मगर उनके चेहरे पर अप्रिय घटना न होने का भाव भी साफ तौर पर दिखाई दे रहा था।
साधु के एक लाख, वकील के साढ़े चार लाख नकद जले
शिविर में आग लगने से एक साधु द्वारा बक्से में रखे गए लाख रुपये नकद जल गए। जबकि एक अधिवक्ता के भी साढ़े चार लाख रुपये नकद जलने की बात कही जा रही है। इसी तरह कई अन्य लोगों का भी बड़ा नुकसान हुआ है। प्रभावित लोगों का कहना है कि था कि आग लगने के बाद उनके बैग भी गायब हो गए। बैग में कीमती सामान था। महिलाएं, बच्चे भी आग की घटना से काफी परेशान रहे।
आग की लपटों के बीच कई ट्रेनों को रोका गया
आग की लपटें इतनी विकराल थी कि उसकी पहुंच दारागंज-झूंसी के बीच बने नए पुल तक पहुंच रही थी। इसी बीच वहां महाकुंभ स्पेशल मालदा टाउन-रामबाग पहुंच गई। लोको पायलट ने वायरलेस पर कंट्रोल रूम को सूचना भेजी। हालांकि ट्रेन को पुल पर रोकना खतरनाक था, ऐसे में ट्रेन को पुल से आगे ले जाया गया। लपटों के बीच तत्काल पूरे रूट पर अलर्ट जारी हुआ।
प्रयागराज-वाराणसी रेल मार्ग पर आने-जाने वाली हर ट्रेन को जगह जगह रोकने का निर्देश हुआ। मौके पर स्थिति के आकलन के लिए झूंसी और रामबाग से टीमें पहुंची। सबकुछ नियंत्रित होने के बाद पुन: ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया।वाराणसी मंडल के पीआरओ अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि धुआं देखते ही अलर्ट जारी हो गया था। नियमानुसार ट्रेनों के संचालन की व्यवस्था को नियंत्रित किया गया। किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में लगी भीषण आग में कई टेंट जलकर खाक हो गए हैं और मौके पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटना स्थल पर जायजा लेने पहुंच गए हैं और इसके अलावा महाकुंभ में हुई अकस्मात आगजनी से काफी नुकसान सुनने को मिल रहा है....
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प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?
आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।
दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।
हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।
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