🙏🚩 मंत्र संसार 🙏🚩

वैवाहिक जीवन में सुख-शांति भंग हो गई है, संतान पर संकट का साया मंडरा रहा है तो इस मंत्र से हनुमान जी की पूजा करें. ये शक्तिशाली मंत्र हर कष्ट को दूर करने में सक्षम है
आजकल देखे तो हर व्यक्ति घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, बहुत सारे कर्जों में डूबें हैं, व्यापार व्यवसाय की पूंजी बार-बार फंस जाती है, उन्हें दारिद्रय दहन स्तोत्र से शिवजी की आराधना करनी चाहिए। महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र बहुत असरदायक है। यदि संकट बहुत ज्यादा है तो शिवमंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करें तो विशेष लाभ होगा। जो व्यक्ति कष्ट में हैं अगर वह स्वयं पाठ करें तो सर्वोत्तम फलदायी होता है लेकिन परिजन जैसे पत्नी या माता-पिता भी उसके बदले पाठ करें तो लाभ होता है। शिवजी का ध्यान कर मन में संकल्प करें. जो मनोकामना हो उसका ध्यान करें फिर पाठ आरंभ करें। श्लोकों को गाकर पढ़े तो बहुत अच्छा, अन्यथा मन में भी पाठ कर सकते हैं। आर्थिक संकटों के साथ-साथ परिवार में सुख शांति के लिए भी इस मंत्र का जप बताया गया है।
।।दारिद्रय दहन स्तोत्रम्।। विश्वेशराय नरकार्ण अवतारणायकर्णामृताय शशिशेखर धारणाय।कर्पूर कान्ति धवलाय, जटाधराय,दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।१गौरी प्रियाय रजनीश कलाधराय,कलांतकाय भुजगाधिप कंकणाय।गंगाधराय गजराज विमर्दनायद्रारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।२भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहायउग्राय दुर्ग भवसागर तारणाय।ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय,दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।३चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय,भालेक्षणाय मणिकुंडल-मण्डिताय।मँजीर पादयुगलाय जटाधरायदारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।४पंचाननाय फणिराज विभूषणायहेमांशुकाय भुवनत्रय मंडिताय।आनंद भूमि वरदाय तमोमयाय,दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।५भानुप्रियाय भवसागर तारणाय,कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षितायदारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।६रामप्रियाय रधुनाथ वरप्रदायनाग प्रियाय नरकार्ण अवताराणाय।पुण्येषु पुण्य भरिताय सुरार्चिताय,दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।७मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वरायगीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।मातंग चर्म वसनाय महेश्वराय,दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।८वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्व रोग निवारणम्सर्व संपत् करं शीघ्रं पुत्र पौत्रादि वर्धनम्।।शुभदं कामदं ह्दयं धनधान्य प्रवर्धनम्त्रिसंध्यं यः पठेन् नित्यम् स हि स्वर्गम् वाप्युन्यात्।।९।।इति श्रीवशिष्ठरचितं दारिद्रयुदुखदहन शिवस्तोत्रम संपूर्णम।।जय मां तारा जय श्री महाकाल
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
👉 शिव मारक सिद्ध मंत्र -
इसके जाप से वाणी सिद्ध होने लगती है कुछ ही दिन के बाद आपको ये भी मालूम होने लगता है की सामने वाले के मन मे क्या है पर जाप बस निरंतर होना चाहिये मन्त्र अति शक्तिशाली है।जाप करने का समय सुबह 30 मिंट से 1 घंटे तक किया जा सकता है।
मन्त्र ओउम नमो भगवती श्रुत देवी हंस वाहिनी त्रिकाल निमित्त प्रकाशिनी सर्व कार्य प्रकाशिनी सत भावे सत भाषे असत का प्रहार करे ओउम नमो श्रुत देवी स्वाहा !
इस मन्त्र के निरंतर जाप से आप पर मां सरस्वती की पूर्ण कृपा होगी और वाणी से निकला हर शब्द सत्य सीध होगा !आजमा कर देख लो
👉 शिव मारक सिद्ध मंत्र -
आद अंत धरती आध अंत परमात्मा दोनो अंत बेटे शिवजी महात्मा, खोल घड़ा दे धड़ा देखो शिवजी महाराज तेरे शब्द का तमाशा।
👉 आर्थिक तंगी दूर करने के लिए:
शिव गायत्री मंत्र — ‘ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।’
👉 शिव की स्तुति -
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।।
निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।।
शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी, जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।।
नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा।।
जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो, क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।।
जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी, ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।।
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।
👉 लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र -
ओम हीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय, अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय-पुरय नमः।
इस मंत्र को 11 बार सुनिए सभी कार्य सिद्ध होंगे
ॐ नमो हनुमंते रुद्रावताराय सर्व शत्रुसंघारणाय सर्व रोग हराय सर्ववशिकरणाय राम दूताय स्वाहा
इस मंत्र की 11 माला जपने से महादेव आपके सारे कष्ट और संकट हरने लेंगे और जीवन को खुशियों से भर देंगे। हर हर महादेव।।
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
देहरक्षा का प्रयोग - किसी पावन-स्थल पर बैठकर दिए गए मंत्र का एक सौ आठ बार जप करें-
"ॐ नमः शिवाय रुद्राय माता चण्डी मम् शरीरं रक्षा करूं करूं ॐ ह्रीं क्रीं स्वाहाः।"
इस मंत्र का इक्कीस दिन जप करने से यह सिद्ध हो जाता है। जिस व्यक्ति पर प्रयोग करना हो, वहां इस मंत्र से अभिषिक्त मंत्र को चारों ओर छिड़क दें। भगवान शंकर की कृपा से उसके देह की रक्षा होगी।
👉 तंत्र मंत्र का पक्का इलाज , हनुमान जी अघोर रूप का ये शाबर मंत्र -
।। ॐ मरकट मरकटाए स्वाहा ।।
👉 रोग निरोगी मंत्र - गंभीर बीमारी में इस मंत्र की माला करे। और किसी ओर रोगी के लिए माला करनी हो तो सामने पानी रखके 21 माला उसके नाम की जापके उसको वो पानी पिला दें।
।। रं रुद्राय नमः।।

👉 हनुमान मंत्र: भगवान हनुमान को भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करने वाला माना जाता है।
॥ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा॥
👉 भगवान काल भैरव के इन मंत्रों का जरूर करें जाप - जीवन में शत्रुओं के कारण आ रही बाधाओं से मुक्ति के लिए और भूत प्रेत से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भगवान काल भैरव के इस मंत्र का जाप जरूर करें.
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि।।
👉 मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही है उन्हें कालाष्टमी पर्व के दिन भगवान काल भैरव की उपासना के समय इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करने से ग्रह शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।
👉 मान्यता है कि कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस मंत्र का जाप करते समय महादेव को बेलपत्र जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से दुख और कष्ट दूर होते हैं
ॐ कालभैरवाय नमः
👉 यदि किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का डर है तो उसे इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
ॐ भयहरणं च भैरवः
👉 भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए और कोर्ट कचहरी के मामलों में राहत पाने के लिए इस मंत्र का जाप जरूर करें. साथ ही कालाष्टमी के विशेष अवसर पर भैरव चालीसा का पाठ करें...
ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट
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👉 काल भैरव अष्टक
देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं, व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं, काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥1॥
भानुकोटिभास्करं भवाब्धितारकं परं, नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरं, काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥2॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं, श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं, काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥3॥
भुक्तिमुक्तिप्रदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं, भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञ हेमकिङ्किणीलसत्कटिं, काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥4॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं, कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्ण वर्ण शेष पाश शोभिताङ्ग-मण्डलं, काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥5॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं, नित्यमद्वितीयमिष्ट दैवतं निरञ्जनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं, काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥6॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं, दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं, काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥7॥
भूतसङ्घनायकं विशालकीर्ति दायकं, काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं, काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥8॥
॥ फल श्रुति॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं, ज्ञान मुक्ति साधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।
शोकमोहदैन्यलोभ-कोपतापनाशनं, प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम्॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं श्री कालभैरवाष्टकम् स्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
👉 श्री भैरव चालीसा
श्री भैरव संकट हरन मंगल करन कृपालु।
करहुँ दया निज दास पे निशिदिन दीनदयालु
जय डमरूधर नयन विशाला, श्याम वर्ण वपु महा कराला।
जय त्रिशूलधर जय डमरूधर, काशी कोतवाल संकटहर।
जय गिरिजासुत परमकृपाला, संकटहरण हरहु भ्रमजाला।
जयति बटुक भैरव भयहारी, जयति काल भैरव बलधारी।
अष्टरूप तुम्हरे सब गायें, सकल एक ते एक सिवाये।
शिवस्वरूप शिव के अनुगामी, गणाधीश तुम सबके स्वामी।
जटाजूट पर मुकुट सुहावै, भालचन्द्र अति शोभा पावै।
कटि करधनी घुँघरू बाजै, दर्शन करत सकल भय भाजै।
कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर, मोरपंख को चंवर मनोहर।
खप्पर खड्ग लिये बलवाना, रूप चतुर्भुज नाथ बखाना।
वाहन श्वान सदा सुखरासी, तुम अनन्त प्रभु तुम अविनाशी।
जय जय जय भैरव भय भंजन, जय कृपालु भक्तन मनरंजन।
नयन विशाल लाल अति भारी, रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी।
बं बं बं बोलत दिनराती, शिव कहँ भजहु असुर आराती।
एकरूप तुम शम्भु कहाये, दूजे भैरव रूप बनाये।
सेवक तुमहिं तुमहिं प्रभु स्वामी, सब जग के तुम अन्तर्यामी।
रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा, श्यामवर्ण कहुं होई प्रचारा।
श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी, तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी।
तीनि नयन प्रभु परम सुहावहिं, सुरनर मुनि सब ध्यान लगावहिं।
व्याघ्र चर्मधर तुम जग स्वामी, प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी।
चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा, निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा।
क्रोधवत्स भूतेश कालधर, चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर।
अहहिं कोटि प्रभु नाम तुम्हारे, जयत सदा मेटत दुःख भारे।
चौंसठ योगिनी नाचहिं संगा, क्रोधवान तुम अति रणरंगा।
भूतनाथ तुम परम पुनीता, तुम भविष्य तुम अहहू अतीता।
वर्तमान तुम्हरो शुचि रूपा, कालजयी तुम परम अनूपा।
ऐलादी को संकट टार्यो, साद भक्त को कारज सारयो।
कालीपुत्र कहावहु नाथा, तव चरणन नावहुं नित माथा।
श्री क्रोधेश कृपा विस्तारहु, दीन जानि मोहि पार उतारहु।
भवसागर बूढत दिनराती, होहु कृपालु दुष्ट आराती।
सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै, मोहिं भगति अपनी अब दीजै।
करहुँ सदा भैरव की सेवा, तुम समान दूजो को देवा।
अश्वनाथ तुम परम मनोहर, दुष्टन कहँ प्रभु अहहु भयंकर।
तम्हरो दास जहाँ जो होई, ताकहँ संकट परै न कोई।
हरहु नाथ तुम जन की पीरा, तुम समान प्रभु को बलवीरा।
सब अपराध क्षमा करि दीजै, दीन जानि आपुन मोहिं कीजै।
जो यह पाठ करे चालीसा, तापै कृपा करहुँ जगदीशा।
जय भैरव जय भूतपति, जय जय जय सुखकन्द।
करहुँ कृपा नित दास पे, देहुँ सदा आनन्द ।।
ॐ श्री भैरवाय नमः।।
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👉 काल भैरव स्तुति
यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं
सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।
कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।
रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं
खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।
चं चं चं चं चलित्वा चलचलचलितं चालितं भूमिचक्रं मं मं मं मायिरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
शं शं शं शङ्खहस्तं शशिकरधवलं मोक्षसंपूर्णतेजं मं मं मं मं महान्तं कुलमकुलकुलं मन्त्रगुप्तं सुनित्यम्।।
यं यं यं भूतनाथं किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रधानं अं अं अं अन्तरिक्षं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं कालकालं करालं क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं दहदहदहनं तप्तसन्दीप्यमानम्।।
हौं हौं हौंकारनादं प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं बं बं बं बाललीलं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
सं सं सं सिद्धियोगं सकलगुणमखं देवदेवं प्रसन्नं पं पं पं पद्मनाभं हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्निनेत्रम्।।
ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं सततभयहरं पूर्वदेवस्वरूपं
रौं रौं रौं रौद्ररूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
हं हं हं हंसयानं हपितकलहकं मुक्तयोगाट्टहासं धं धं धं नेत्ररूपं शिरमुकुटजटाबन्धबन्धाग्रहस्तम्।।
टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।
नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।
भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।। स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।
मंत्र गूढ़ मंत्र
ॐ जूं स:।
Shiv Puja Mantra
ॐ अघोराय नम:।। ॐ तत्पुरूषाय नम:।।
बुद्धि तीव्रता के लिए मंत्र
ॐ साधो जातये नम:।। ॐ वाम देवाय नम:।
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
मां काली सिद्ध वशीकरण मन्त्र
मंत्र :---“बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।
To be continue .....
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