🙏🚩🚩🙏जय जय श्रीराम🙏🚩🚩🙏
आइए जानते है महाबली रामभक्त हनुमानजी का रावण के साथ लंका युद्ध में अद्भुत पराक्रम को....जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने 1000 अमर राक्षसों को बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया। ये ऐसे थे जिनको काल भी नहीं खा सका था।
विभीषण के गुप्तचरों से समाचार मिलने पर श्रीराम को चिन्ता हुई कि हम लोग इनसे कब तक लड़ेंगे? सीता का उद्धार और विभीषण का राज तिलक कैसे होगा? क्योंकि युद्ध की समाप्ति असंभव है।
प्रभु श्रीराम कि इस स्थिति से वानरवाहिनी के साथ कपिराज सुग्रीव भी विचलित हो गए कि अब क्या होगा? हम अनंत काल तक युद्ध तो कर सकते हैं पर विजयश्री का वरण नहीं! पूर्वोक्त दोनों कार्य असंभव हैं।
अंजनानंदन हनुमान जी आकर वानर वाहिनी के साथ श्रीराम को चिंतित देखकर बोले, 'प्रभु! क्या बात है?'
श्रीराम के संकेत से विभीषण जी ने सारी बात बतलाई। अब विजय असंभव है।
'चले मग जात सूखि गए गात', (गोस्वामी तुलसीदास)
न कालस्य न शक्रस्य न विष्णर्वित्तपस्य च।कर्माणि तानि श्रूयन्ते यानि युद्धे हनूमतः॥
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