जय मां मनसा देवी
मां मनसा देवी कश्यप ऋषि की मानसी कन्या हैं। वे मन से ध्यान करने पर प्रकाशित होती है; इसलिए मनसा देवी के नाम से जानी जाती हैं। वे मन से परमब्रह्म परमात्मा का ध्यान करती है।
—सिद्धयोगिनी वैष्णवी मनसा देवी ने तीन युगों तक तप करके परमात्मा श्रीकृष्ण का दर्शन प्राप्त किया। उस समय गोपीपति भगवान श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्र और शरीर को जीर्ण देखकर उनका नाम ‘जरत्कारु’ रख दिया। स्वयं भगवान ने उनकी पूजा की तथा और लोगों से भी उनकी पूजा करायी।
—मनसा देवी की ब्रह्मलोक, स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और नागलोक में पूजा होने लगी। ये अत्यन्त गौरवर्ण, सुन्दरी व मनोहारिणी हैं। अत: ये जगद्गौरी के नाम से भी पूजी जाती हैं।
—ये भगवान शिव की शिष्या हैं इसलिए शैवी कही जाती हैं।
—भगवान विष्णु की भक्ति में संलग्न रहती हैं इसलिए वैष्णवी कहलाती हैं।
—परीक्षित के पुत्र राजा जनमेजय के यज्ञ में उन्होंने नागों की प्राण रक्षा की थी, अत: वे नागेश्वरी तथा नागभगिनी के नाम से भी जानी जाती हैं।
—ये विष का हरण करने में समर्थ हैं इसलिए विषहरी कहलाती हैं।
—इन्होंने भगवान शिव से सिद्धयोग प्राप्त किया था, इसलिए वे सिद्धयोगिनी के नाम से भी जानी जाती हैं।
—भगवान शिव से उन्होंने महाज्ञान, योग, व मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की थी अत: वे महाज्ञानयुता कहलाती हैं।।
—वे आस्तीक मुनि की माता हैं इसलिए आस्तीकमाता के नाम से प्रसिद्ध हैं।
—ये महात्मा जरत्कारु की पत्नी थीं इसलिए इन्हें जरत्कारुप्रिया भी कहते हैं।
मनसा देवी के बारह नाम का स्तोत्र
जरत्कारु जगद्गौरी मनसा सिद्धयोगिनी ।
वैष्णवी नागभगिनी शैवी नागेश्वरी तथा ।।
जरत्कारुप्रिया आस्तीकमाता, विषहरीति च ।
महाज्ञानयुता चैव सा देवी विश्वपूदिता ।।
द्वादशैतानि नामानि पूजाकाले तु य: पठेत् ।
तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोद्भवस्य च ।।
ब्रह्मवैवर्तपुराण, प्रकृतिखण्ड ४५।१५-१७)
स्तोत्र पाठ का फल
जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता, विषहरा और महाज्ञानयुता--मनसादेवी के इन बारह नामों का पाठ जो मनुष्य पूजा के समय करता है, उसे तथा उसके वंशजों को नागों का भय नहीं रहता।
जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करके मनुष्य सर्प भय से मुक्त हो जाता है। जो मनुष्य इसे नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं। दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है। जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है।
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हर हर महादेव - जय श्री राम 🌺
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प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?
आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।
दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।
हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।
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