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महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को चढ़ाना चाहते हैं बेलपत्र, जानें सही नियम....

 महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को चढ़ाना चाहते हैं बेलपत्र, जानें सही नियम



महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस खास दिन को हर घर में धूम-धाम से मनाया जाता है। शिव भक्‍त तो इस दिन व्रत रखते हैं और चार प्रहर की पूजा भी करते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है और जल के साथ-साथ बेल पत्र आदि भी अर्पित किए जाते हैं। आपको बता दें कि शिव जी का प्रसाद बहुत ही विशेष होता है। इस प्रसाद में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं, जो आम लोग ग्रहण नहीं कर सकते हैं मगर भगवान शिव को वो अतिप्रिय है। वैसे तो शिव जी की पूजा बहुत ही विधि विधान के साथ की जाती है , मगर उन्‍हें हर चीज अर्पित करने के कुछ नियम भी होते हैं। बेल चढ़ाने का भी अलग से एक नियम होता है। 26 फरवरी को महाशिवारात्रि का त्‍योहार है। इस दिन अगर आप भी शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए उनकी प्रिय चीजों के साथ-साथ उन्‍हें बेलपत्र आदि अर्पित करना चाहती हैं, तो हम आपको आज बताएंगे कि इसा सही नियम क्‍या है। इस विषय पर हमारी बातचीत ज्‍योतिषाचार्य एंव पंडित जी सौरभ त्रिपाठी से हुई है।

वह कहते हैं, " बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी है। ऐसा कहा जाता है कि जब आप शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र अर्पित करते हैं, तो आपके पाप और अंदर की सकारात्‍मकता नष्‍ट हो जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से व्‍यत्कि को मोक्ष प्राप्‍त होता है। यह भक्‍तों को मन की शांति और दिमाग की शीतलता भी प्रदान करता है।"

महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को चढ़ाना चाहते हैं बेलपत्र, जानें सही नियम

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस खास दिन को हर घर में धूम-धाम से मनाया जाता है। शिव भक्‍त तो इस दिन व्रत रखते हैं और चार प्रहर की पूजा भी करते हैं। इतना ही नहीं, इस दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है और जल के साथ-साथ बेल पत्र आदि भी अर्पित किए जाते हैं। आपको बता दें कि शिव जी का प्रसाद बहुत ही विशेष होता है। इस प्रसाद में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं, जो आम लोग ग्रहण नहीं कर सकते हैं मगर भगवान शिव को वो अतिप्रिय है। वैसे तो शिव जी की पूजा बहुत ही विधि विधान के साथ की जाती है , मगर उन्‍हें हर चीज अर्पित करने के कुछ नियम भी होते हैं। बेल चढ़ाने का भी अलग से एक नियम होता है। 26 फरवरी को महाशिवारात्रि का त्‍योहार है। इस दिन अगर आप भी शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए उनकी प्रिय चीजों के साथ-साथ उन्‍हें बेलपत्र आदि अर्पित करना चाहती हैं, तो हम आपको आज बताएंगे कि इसा सही नियम क्‍या है। इस विषय पर हमारी बातचीत ज्‍योतिषाचार्य एंव पंडित जी सौरभ त्रिपाठी से हुई है।

वह कहते हैं, " बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी है। ऐसा कहा जाता है कि जब आप शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र अर्पित करते हैं, तो आपके पाप और अंदर की सकारात्‍मकता नष्‍ट हो जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से व्‍यत्कि को मोक्ष प्राप्‍त होता है। यह भक्‍तों को मन की शांति और दिमाग की शीतलता भी प्रदान करता है। "

बेलपत्र का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे उनका शरीर अत्यंत गर्म हो गया और उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए देवताओं ने उन पर बेलपत्र अर्पित किए। तभी से शिव जी को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हो गया।

भगवान शिव जी को जो बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं, उनमें 3 का जोड़ा होता है। इसका अर्थ ब्रह्मा, विष्णु और महेश होता है। इसे त्रिदेवों की संयुक्त कृपा का द्योतक माना जाता है। इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करता है, उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

आयुर्वेद में भी बेलपत्र का विशेष महत्व बताया गया है। इसका सेवन करने से पाचन संबंधी रोगों से राहत मिलती है और यह मानसिक शांति प्रदान करता है।

शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाता है, उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है और वह सभी बाधाओं से मुक्त होकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के कुछ महत्‍वपूर्ण नियम हैं। इनका पालन करके अगर आप भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाती हैं, तो आपको बहुत सारा आशीर्वाद मिलता है।

सबसे पहले इस बात का संकल्‍प लें कि आपको शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने हैं। हमेशा 3, 5, 9, 11, 21, 51 या 108 की संख्‍या में ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं।

अच्‍छा होगा कि आप खुद से बेलपत्र का चुनाव करें, मगर आप यदि बाहर से बेल पत्र खरीद रही हैं, तो आपको यह सुनिश्चित कर लेना है कि वह साफ हैं या नहीं। बेहतर होगा कि आप बाल्टि में पानी भरें और उसमें सारे बेल पत्र डालकर उन्‍हें साफ कर लें। फिर उन्‍हें एक साफ बर्तन में रख लें।

कटे-फटे बेलपत्र शिवलिंग पर न चढ़ाएं। इस बात का भी ध्‍यान रखें कि बेलपत्र 3 के जोड़े में हों। बेल पत्र में कीड़े भी न लगे हों और जिस पेड़ यह पत्‍ते तोड़े गए हों वह भी साफ स्‍थल पर हो।

जब भी बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं, तो ध्यान रखें कि इसकी चिकनी सतह ऊपर की ओर हो और रेखायुक्त भाग नीचे की ओर रहे। इससे भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

बेलपत्र चढ़ाते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। यदि संभव हो तो "ॐ महादेवाय नमः" या "ॐ त्र्यंबकाय नमः" मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं। इससे पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि पहले से चढ़ाया गया बेलपत्र ताजा है और साफ है, तो उसे गंगाजल से धोकर पुनः शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।

जब शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह दक्षिण दिशा में न गिरे। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, और इस दिशा में बेलपत्र गिराना अशुभ माना जाता है।

भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्‍तों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए आपको ध्‍यान रखना होगा कि आप बेल पत्र को तुलसी के साथ शिवलिंग पर अर्पित न करें।

शिव जी पर चढ़ाने वाले बेलपत्र को सोमवार, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा, शाम के समय भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। यदि महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाना हो, तो उसे एक दिन पहले तोड़कर पानी में डालकर रख दें और फिर अगले दिन पूजा में उपयोग करें।

महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र अर्पित करना एक अत्यंत पुण्यदायी कार्य माना जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।


आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट SanataniYodha24 के साथ।


हर हर महादेव - जय श्री राम 🌺

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प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?

आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।

दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।

हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।






पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे उनका शरीर अत्यंत गर्म हो गया और उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए देवताओं ने उन पर बेलपत्र अर्पित किए। तभी से शिव जी को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हो गया।

भगवान शिव जी को जो बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं, उनमें 3 का जोड़ा होता है। इसका अर्थ ब्रह्मा, विष्णु और महेश होता है। इसे त्रिदेवों की संयुक्त कृपा का द्योतक माना जाता है। इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करता है, उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

आयुर्वेद में भी बेलपत्र का विशेष महत्व बताया गया है। इसका सेवन करने से पाचन संबंधी रोगों से राहत मिलती है और यह मानसिक शांति प्रदान करता है।

शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाता है, उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है और वह सभी बाधाओं से मुक्त होकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के कुछ महत्‍वपूर्ण नियम हैं। इनका पालन करके अगर आप भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाती हैं, तो आपको बहुत सारा आशीर्वाद मिलता है।

सबसे पहले इस बात का संकल्‍प लें कि आपको शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने हैं। हमेशा 3, 5, 9, 11, 21, 51 या 108 की संख्‍या में ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं।

अच्‍छा होगा कि आप खुद से बेलपत्र का चुनाव करें, मगर आप यदि बाहर से बेल पत्र खरीद रही हैं, तो आपको यह सुनिश्चित कर लेना है कि वह साफ हैं या नहीं। बेहतर होगा कि आप बाल्टि में पानी भरें और उसमें सारे बेल पत्र डालकर उन्‍हें साफ कर लें। फिर उन्‍हें एक साफ बर्तन में रख लें।

कटे-फटे बेलपत्र शिवलिंग पर न चढ़ाएं। इस बात का भी ध्‍यान रखें कि बेलपत्र 3 के जोड़े में हों। बेल पत्र में कीड़े भी न लगे हों और जिस पेड़ यह पत्‍ते तोड़े गए हों वह भी साफ स्‍थल पर हो।

जब भी बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं, तो ध्यान रखें कि इसकी चिकनी सतह ऊपर की ओर हो और रेखायुक्त भाग नीचे की ओर रहे। इससे भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

बेलपत्र चढ़ाते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। यदि संभव हो तो "ॐ महादेवाय नमः" या "ॐ त्र्यंबकाय नमः" मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं। इससे पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि पहले से चढ़ाया गया बेलपत्र ताजा है और साफ है, तो उसे गंगाजल से धोकर पुनः शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।

जब शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह दक्षिण दिशा में न गिरे। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, और इस दिशा में बेलपत्र गिराना अशुभ माना जाता है।

भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्‍तों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए आपको ध्‍यान रखना होगा कि आप बेल पत्र को तुलसी के साथ शिवलिंग पर अर्पित न करें।

शिव जी पर चढ़ाने वाले बेलपत्र को सोमवार, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा, शाम के समय भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। यदि महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाना हो, तो उसे एक दिन पहले तोड़कर पानी में डालकर रख दें और फिर अगले दिन पूजा में उपयोग करें।

महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र अर्पित करना एक अत्यंत पुण्यदायी कार्य माना जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।


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हर हर महादेव - जय श्री राम 🌺

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प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?

आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।

दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।

हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।

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