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अशुद्ध आत्माओंं का संपूर्ण रहस्य....

अशुद्ध आत्माएं जब शरीर से निकल जाती हैं तब वे विश्राम पाने के लिए सूखी जगहों को ढूंढने लगती हैं।


उन्हें कहीं विश्राम नहीं मिलता तब वे अपनी पुरानी जगह पर पहुंचती हैं और उनके साथ और भी बुरी आत्माएं लग जाती हैं। पिशाच सूर्य का ताप नहीं सहन कर पाते इसलिए अंधेरे में रहते हैं।

पिशाचों की कुछ प्रजातियां-

अनर्क मर्क पिशाच- 

ये बौने, उछल उछल कर चलने वाले, बातूनी और वृक्षों पर निवास करने वाले होते हैं। इनका आहार वृक्ष ही होता है। वृक्ष की सूखी लकड़ी चबाते हैं।

पाशु पिशाच- 

ये खड़े-खड़े रोम वाले होते हैं, ये शरीर से धूल गिराते हुए चलते हैं।

उपवीर पिशाच योनि- 

सूखे , मूंछ दाढ़ी वाले, चीरधारी और श्मशान में निवास करते हैं।

उलुखन पिशाच- 

स्थिर आंखों वाले, लंबी जीभ, जीभ से होंठ चाटते रहते हैं, इनका सर मोटा होता है किसी हाथी की तरह।

सूचीमुख पिशाच- 

इनका पेट बहुत भारी रहता है लेकिन मुंह का छेद सूई की नोक के बराबर होता है। ये अन्न भक्षण नहीं कर पाते जबकि भूखे रहते हैं।

पूर्ण पिशाच- 

इनकी आंखे जमीन की तरफ रहती हैं, इनके हाथ पैर छोटे और शरीर मोटा होता है। ये सूनसान भवनों में रहते हैं। ये प्रसूति शिशुओं का भक्षण करते हैं।

मांस भक्षी पिशाच- 

इनका हाथ पैर पीछे रहता है ‌ । वायु में भ्रमण करते हैं। युद्ध में गिरने वाले रक्त को पीते हैं।

स्कन्दी पिशाच-

ये पूर्ण नग्न, लंबे बालों वाले, घुमक्कड़ पिशाच हैं। ये जूठन खाकर आहार लेते हैं। ये गोधुलि और भोर में निकलते हैं।

इसके अलावा भी बहुत से पिशाच होते हैं।

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