एक बार अवश्य पढ़ना .....
एक बार शनि देव को अपनी शक्ति पर अपार घमंड हो गया। शनि देव को लगने लगा कि उनसे शक्तिशाली कोई भी नहीं है। उनकी दृष्टि मात्र से ही व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल शुरू हो जाती है। इसी मद में चूर होकर वे ऐसे स्थान पर पहुंचे, जहां हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम की साधना में लीन थे।
शनि देव ने सोचा कि इस वानर को अपनी ताकत का अहसास कराता हूं। उन्होंने अपनी वक्र दृष्टि हनुमान जी पर डाली, लेकिन यह क्या! हनुमान जी पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ। यह देखकर शनि देव भड़क उठे और ललकारते हुए बोले, "हे वानर! क्या तू नहीं जानता कि मैं कौन हूं? मेरी दृष्टि ने देवताओं तक को हिला दिया है। अब मैं तुझे सिखाता हूं कि शनि देव के सामने झुकने का क्या मतलब होता है।"
हनुमान जी शांतचित्त श्रीराम का स्मरण कर रहे थे। उन्होंने शनि देव की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह देखकर शनि देव और क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा, "अब देख, मैं तेरी राशि में प्रवेश करके तेरे जीवन को तहस-नहस कर दूंगा।"
हनुमान जी ने बड़े धैर्य से जवाब दिया, "महाराज, मुझे प्रभु श्रीराम का ध्यान करने दें। आप कृपया कहीं और जाएं और विघ्न न डालें।" शनि देव ने इसे अपनी तौहीन समझा और हनुमान जी की भुजा पकड़ ली।
हनुमान जी ने हल्के झटके से अपनी भुजा छुड़ा ली, लेकिन शनि देव ने और जोर लगाया। इससे हनुमान जी को थोड़ा क्रोध आ गया। उन्होंने अपनी विशाल पूंछ उठाई और शनि देव को उसमें लपेट लिया। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें आसमान में उछाल दिया और पहाड़ों और वृक्षों पर जोर-जोर से पटकने लगे।
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्
शनि देव दर्द से कराहते हुए बोले, "हे वानरराज, कृपा करें! मुझे माफ कर दें। मैं आपकी शक्ति और प्रभु श्रीराम की महिमा को नहीं पहचान पाया।"
हनुमान जी ने कहा, "अगर तुम्हें क्षमा चाहिए, तो वचन देना होगा कि तुम न केवल मेरी, बल्कि मेरे भक्तों की भी छाया से दूर रहोगे।"
शनि देव ने हाथ जोड़कर वचन दिया, "हे पवनपुत्र, अब से मैं आपके भक्तों को कभी परेशान नहीं करूंगा।"
उस दिन से शनि देव ने प्रण लिया कि वे हनुमान भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। यही कारण है कि शनि के प्रकोप से बचने के लिए लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं।
बजरंग बाण ध्यानश्रीराम अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं। दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं। रघुपति प्रियभक्तं वातजातं
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति के आगे बड़े से बड़ा संकट भी हार मान लेता है। हनुमान जी की भक्ति में वह शक्ति है, जो हर संकट को दूर कर सकती है।
श्री राम रक्षा स्त्रोत मंत्र....
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने।।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?
आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।
दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।
हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।
#livethelittlethings #visualsgang #darlingmovement #collectivelycreate #behindthescenes #flashesofdelight #darlingmovement #chasinglight #risingtidesociety #finditliveit #seekthesimplicity #theartofslowliving #myunicornlife #lookslikefilm #thatsdarling #momentswithsunday #alifeconscious #dedication #determination #dreams #documentyourdays #holdyourmoments #simpleliving
0 Comments