एक बार अवश्य पढ़ें .....
- वह महाविद्या का एक रूप है, जो दस तांत्रिक देवताओं का एक समूह है
- वह पीले रंग से जुड़ी हुई हैं और उन्हें अक्सर पीले कपड़े पहने हुए दिखाया जाता है
- कहा जाता है कि उनकी तीन आंखें हैं, जो उनके भक्तों को ज्ञान प्रदान करने की उनकी क्षमता का प्रतीक हैं
- इन्हें तंत्र की देवी के रूप में भी जाना जाता है
माँ बंगलामुखी क्या करती हैं?
- कहा जाता है कि वह अपने भक्तों के भ्रम और भ्रांतियों का नाश करती हैं।
- कहा जाता है कि वह भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक बंधनों से मुक्त करती हैं
- ऐसा कहा जाता है कि उसके पास अपने दुश्मनों को अचेत या पंगु बनाने की शक्ति है
माँ बंगलामुखी के मंदिर कहाँ देखे जा सकते हैं?
- नलखेड़ा, मध्य प्रदेश - नलखेड़ा में बगलामुखी मंदिर लखुंदर नदी के तट पर स्थित है
- बनखंडी, हिमाचल प्रदेश - बनखंडी में माँ बगलामुखी मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ भक्त आशीर्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं
मां बंगलामुखी देवी दश महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या का नाम से उल्लेखित है । वैदिक शब्द ‘वल्गा’ कहा है, जिसका अर्थ कृत्या सम्बन्ध है, जो बाद में अपभ्रंश होकर बगला नाम से प्रचारित हो गया । बगलामुखी शत्रु-संहारक विशेष है अतः इसके दक्षिणाम्नायी पश्चिमाम्नायी मंत्र अधिक मिलते हैं । नैऋत्य व पश्चिमाम्नायी मंत्र प्रबल संहारक व शत्रु को पीड़ा कारक होते हैं । इसलिये इसका प्रयोग करते समय व्यक्ति घबराते हैं । वास्तव में इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिये । ऐसी बात नहीं है कि यह विद्या शत्रु-संहारक ही है, ध्यान योग में इससे विशेष सहयता मिलती है । यह विद्या प्राण-वायु व मन की चंचलता का स्तंभन कर ऊर्ध्व-गति देती है, इस विद्या के मंत्र के साथ ललितादि विद्याओं के कूट मंत्र मिलाकर भी साधना की जाती है । बगलामुखी मंत्रों के साथ ललिता, काली व लक्ष्मी मंत्रों से पुटित कर व पदभेद करके प्रयोग में लाये जा सकते हैं । इस विद्या के ऊर्ध्व-आम्नाय व उभय आम्नाय मंत्र भी हैं, जिनका ध्यान योग से ही विशेष सम्बन्ध रहता है। त्रिपुर सुन्दरी के कूट मन्त्रों के मिलाने से यह विद्या बगलासुन्दरी हो जाती है, जो शत्रु-नाश भी करती है तथा वैभव भी देती है ।
मां काली और काल भैरव का भयानक रुद्र रूप की पूर्ण जानकारी👇👇
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महर्षि च्यवन ने इसी विद्या के प्रभाव से इन्द्र के वज्र को स्तम्भित कर दिया था । आदिगुरु शंकराचार्य ने अपने गुरु श्रीमद्-गोविन्दपाद की समाधि में विघ्न डालने पर रेवा नदी का स्तम्भन इसी विद्या के प्रभाव से किया था । महामुनि निम्बार्क ने एक परिव्राजक को नीम के वृक्ष पर सूर्य के दर्शन इसी विद्या के प्रभाव से कराए थे । इसी विद्या के कारण ब्रह्मा जी सृष्टि की संरचना में सफल हुए ।श्री बगला शक्ति कोई तामसिक शक्ति नहीं है, बल्कि आभिचारिक कृत्यों से रक्षा ही इसकी प्रधानता है । इस संसार में जितने भी तरह के दुःख और उत्पात हैं, उनसे रक्षा के लिए इसी शक्ति की उपासना करना श्रेष्ठ होता है । शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिन संहिता के पाँचवें अध्याय की २३, २४ एवं २५वीं कण्डिकाओं में अभिचारकर्म की निवृत्ति में श्रीबगलामुखी को ही सर्वोत्तम बताया है ।
शत्रु विनाश के लिए जो कृत्या विशेष को भूमि में गाड़ देते हैं, उन्हें नष्ट करने वाली महा-शक्ति श्रीबगलामुखी ही है ।त्रयीसिद्ध विद्याओं में आपका पहला स्थान है । आवश्यकता में शुचि-अशुचि अवस्था में भी इसके प्रयोग का सहारा लेना पड़े तो शुद्धमन से स्मरण करने पर भगवती सहायता करती है । लक्ष्मी-प्राप्ति व शत्रुनाश उभय कामना मंत्रों का प्रयोग भी सफलता से किया जा सकता है ।देवी को वीर-रात्रि भी कहा जाता है, क्योंकि देवी स्वम् ब्रह्मास्त्र-रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र-महारुद्र तथा मृत्युञ्जय-महादेव कहा जाता है, इसीलिए देवी सिद्ध-विद्या कहा जाता है । विष्णु भगवान् श्री कूर्म हैं तथा ये मंगल ग्रह से सम्बन्धित मानी गयी हैं । शत्रु व राजकीय विवाद, मुकदमेबाजी में विद्या शीघ्र-सिद्धि-प्रदा है । शत्रु के द्वारा कृत्या अभिचार किया गया हो, प्रेतादिक उपद्रव हो, तो उक्त विद्या का प्रयोग करना चाहिये । यदि शत्रु का प्रयोग या प्रेतोपद्रव भारी हो, तो मंत्र क्रम में निम्न विघ्न बन सकते हैं -
- जप नियम पूर्वक नहीं हो सकेंगे ।
- मंत्र जप में समय अधिक लगेगा, जिह्वा भारी होने लगेगी ।
- मंत्र में जहाँ “जिह्वां कीलय” शब्द आता है, उस समय स्वयं की जिह्वा पर संबोधन भाव आने लगेगा, उससे स्वयं पर ही मंत्र का कुप्रभाव पड़ेगा ।
- ‘बुद्धिं विनाशय’ पर परिभाषा का अर्थ मन में स्वयं पर आने लगेगा ।सावधानियाँ -
ऐसे समय में तारा मंत्र पुटित बगलामुखी मंत्र प्रयोग में लेवें, अथवा कालरात्रि देवी का मंत्र व काली अथवा प्रत्यंगिरा मंत्र पुटित करें । तथा कवच मंत्रों का स्मरण करें । सरस्वती विद्या का स्मरण करें अथवा गायत्री मंत्र साथ में करें ।
- बगलामुखी मंत्र में “ॐ ह्ल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाश ह्ल्रीं ॐ स्वाहा ।” इस मंत्र में ‘सर्वदुष्टानां’ शब्द से आशय शत्रु को मानते हुए ध्यान-पूर्वक आगे का मंत्र पढ़ें ।
- यही संपूर्ण मंत्र जप समय ‘सर्वदुष्टानां’ की जगह काम, क्रोध, लोभादि शत्रु एवं विघ्नों का ध्यान करें तथा ‘वाचं मुखं …….. जिह्वां कीलय’ के समय देवी के बाँयें हाथ में शत्रु की जिह्वा है तथा ‘बुद्धिं विनाशय’ के समय देवी शत्रु को पाशबद्ध कर मुद्गर से उसके मस्तिष्क पर प्रहार कर रही है, ऐसी भावना करें ।
- बगलामुखी के अन्य उग्र-प्रयोग वडवामुखी, उल्कामुखी, ज्वालामुखी, भानुमुखी, वृहद्-भानुमुखी, जातवेदमुखी इत्यादि तंत्र ग्रथों में वर्णित है । समय व परिस्थिति के अनुसार प्रयोग करना चाहिये ।
- बगला प्रयोग के साथ भैरव, पक्षिराज, धूमावती विद्या का ज्ञान व प्रयोग करना चाहिये ।
- बगलामुखी उपासना पीले वस्त्र पहनकर, पीले आसन पर बैठकर करें । गंधार्चन में केसर व हल्दी का प्रयोग करें, स्वयं के पीला तिलक लगायें । दीप-वर्तिका पीली बनायें । पीत-पुष्प चढ़ायें, पीला नैवेद्य चढ़ावें । हल्दी से बनी हुई माला से जप करें । अभाव में रुद्राक्ष माला से जप करें या सफेद चन्दन की माला को पीली कर लेवें । तुलसी की माला पर जप नहीं करें ।
मां बंगलामुखी को कैसे खुश करें?
माँ बंगलामुखी की पारंपरिक पूजा, जिसे पूजा विधि के नाम से जाना जाता है, एक दिव्य समारोह है। इसमें भजनों का पाठ, फूल और धूप, और अन्य पवित्र वस्तुओं की पेशकश शामिल है। मुख्य तत्व देवी के प्रति सच्ची प्रार्थना और भक्ति है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
क्या मैं घर में मां बंगलामुखी की फोटो रख सकता हूं?
साधक/साधिका अपने पूजा कक्ष में माँ बगलामुखी की तस्वीर रख सकते हैं । तस्वीर या मूर्ति को पीले या सुनहरे रंग के कपड़े पर रखना चाहिए। माँ के सिर को पीले या सुनहरे रंग की चुनरी से ढकना सबसे अच्छा है। साधक/साधिका माला से और सजावट कर सकते हैं।
क्या मैं घर पर बंगलामुखी पूजा कर सकती हूं?
एकाग्र मन और सच्चे हृदय से माता बगलामुखी के बीज मंत्र का जाप करते हुए मां बंगलामुखी की पूजा करें । बंगलामुखी देवी को पीले चावल, पीले फूल और पीला प्रसाद समर्पित किया जाता है। बंगलामुखी जयंती के दिन देवी को भोजन, मिठाई, फल और पांच प्रकार के सूखे मेवे का भोग लगाएं।
जय मां बंगलामुखी देवी जी का मंगला आरती श्रृंगार दर्शन
श्री बनखंडी धाम कांगडा हिमाचल प्रदेश
बंगलामुखी यंत्र कौन पहन सकता है?
इस यंत्र का प्रयोग न्यायालय में करने वाले व्यक्ति को हर बार सफलता मिलती है । यह इस यंत्र का व्यावहारिक उपयोग है। इसे कई लोगों ने अच्छी तरह परखा है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद, यंत्र को पूजा स्थल या घर के मंदिर में लकड़ी के चौक पर स्थापित किया जाना चाहिए, जिस पर पीला आसन रखा जाना चाहिए।
बंगलामुखी में सती का कौन सा भाग गिरा था?
उसे दुनिया को नष्ट करने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया। सती का बायां वक्ष इस स्थान पर गिरा, जिससे यह एक शक्तिपीठ बन गया।
बंगलामुखी एक शक्तिपीठ है?
बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के कोटला कस्बे में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है । यह मंदिर हिंदू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है।
बंगलामुखी की पूजा कोई कर सकता है?
बंगलामुखी को नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने की उनकी क्षमता के लिए भी जाना जाता है। यही कारण है कि नकारात्मक प्रभावों पर विजय पाने और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करने के इच्छुक लोगों द्वारा उनकी पूजा की जाती है । बगलामुखी की जीभ द्वारा राक्षस को खींचने का प्रतीक मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।
बंगलामुखी मंदिर में क्या चढ़ाएं?
आप जो भी चढ़ाएं वह पीला होना चाहिए, यही इस मंदिर की परंपरा है, जैसे हल्दी का सख्त रूप, पाउडर नहीं, काली मिर्च, पीली साड़ी, पीली सरसों के बीज, पीली मिठाई जैसे बेसन की बर्फी, यंत्र, पीली मौली धागा, पीला दीया, पीला कपड़ा आदि। वस्तुओं का आशीर्वाद लेने के बाद उन्हें घर वापस ले जाना बेहतर होता है...
मां बंगलामुखी की पूजा कौन करता है?
सिद्धि प्राप्त करने के लिए तांत्रिकों द्वारा भी माँ बंगलामुखी की पूजा की जाती है। ऐसा देखा गया है कि देवी बंगलामुखी के वस्त्र का रंग पीला होता है। देवी बंगलामुखी को पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है और माँ बंगला की पूजा करने वाले भक्तों को देवी बंगलामुखी की पूजा करते समय पीले रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
बंगलामुखी मंदिर कब जाएं?
बंगलामुखी मंदिर में नवरात्रि, दशहरा और दिवाली का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे राज्य में लोग यहां आते हैं और बड़े उत्साह के साथ त्यौहारों में भाग लेते हैं। भक्त यहां नवग्रह पूजा, वकसिद्धि पूजा और हवन (होम) करते हैं। बंगलामुखी मंदिर हर दिन होने वाली अग्नि बलिदान के लिए प्रसिद्ध है।
सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ कौन सा है?
इनमें से, कामाख्या, गया और उज्जैन के शाक्त पीठों को सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि वे देवी माँ के तीन सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतीक हैं। सृजन (कामरूपा देवी), पोषण (सर्वमंगला देवी/मंगलागौरी), और संहार (महाकाली देवी)।
बंगलामुखी का भैरव कौन है?
बंगलामुखी भगवान विष्णु की एक शक्ति या सार है और इसलिए उन्हें पीताम्बरा या पीले वस्त्र पहने हुए भी कहा जाता है। हालाँकि उनके भैरव के रूप में शिव मृत्युंजयेश्वर का एक रूप है।
बंगलामुखी की पूजा क्यों करें?
देवी बंगलामुखी को बुरी शक्तियों से बचाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। मंत्र के माध्यम से उनका आह्वान करके, भक्त नकारात्मक ऊर्जा, काले जादू और दूसरों के हानिकारक इरादों के खिलाफ उनकी ढाल मांगते हैं
बंगलामुखी कितनी शक्तिशाली है? - मां बंगलामुखी महत्त्व
बंगलामुखी शब्द बगला या वल्गा शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है घोड़े को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली काठी। इस अत्यंत शक्तिशाली देवी को स्थम्बिनी देवी या ब्रह्मास्त्र रूपिणी भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि वह इतनी शक्तिशाली है कि लक्ष्य को स्थिर और निश्चल बना सकती है ।
बंगलामुखी यंत्र को कैसे सक्रिय करें?
मंत्र जाप: मां बंगलामुखी मंत्र का 11, 51 या 108 बार भक्ति भाव से जाप करें ।
नियमित दर्शन: सुनिश्चित करें कि आप हर दिन यंत्र का दर्शन करें, लगातार इसकी दिव्य ऊर्जाओं से जुड़ें।
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प्रिय पाठकों, कैसी लगी यह कथा?
आशा करते हैं कि आपको यह कथा पसंद आई होगी। अगली बार फिर मिलेंगे एक और भक्तिपूर्ण कथा के साथ। तब तक अपना ख्याल रखें, मुस्कुराते रहें, और दूसरों के साथ खुशी बाँटते रहें।
दोस्तों आपको मेरे द्वारा लिखे गये लेख कैसे लगे कृप्या अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर दें।
हर हर महादेव।। प्रभु की कृपा हमेशा सब पर बनी रही। 👋हर हर महादेव! धन्यवाद।
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