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कुलदेवी को मनाओ ,मौज करोगे। राजा जैसी जिंदगी जिओ......

 कुलदेवी को मनाओ ,मौज करोगे। राजा जैसी जिंदगी जिओ।



एक मंदिर ऐसा है, जहाँ हमेशा आपका इन्तजार किया जाता है, मेरा कुलदीपक आएगा ,मैं उसको निहारूंगी, देखूँगी,आशीर्वाद दूंगी। मेरा बेटा, बेटी आएगी। वो मंदिर है , हमारी कुलदेवी का मंदिर।

ऐसे लोग बहुत देखे होंगे होंगे जो बहुत पूजा पाठ करते है बहुत धार्मिक है फिर भी उसके परिवार में सुख शांति नही । जो धन आता है घर मे पता ही नही चलता कोनसे रास्ते निकल जाता है ।

शादी नही होती, शादी किसी तरह हो गई तो संतान नही होती । घर में कोई तरक्की बरकत नहीं होती। गृह क्लेश बना रहता है। घर परिवार में किसी की नहीं बनती। किसी को भेजो सुनार के पास ,वो मिलता है लुहार के पास।

ये संकेत है की आपके कुलदेव या देवी आपसे रुष्ट है | आपके ऊपर से सुरक्षा चक्र हट चूका है जिसके कारण नकारात्मक शक्तिया आप पर हावी हो जाती है । फिर चाहे आप कितना पूजा पाठ करवा लो , कोइ लाभ नही होगा ।

कुलदेवता या कुलदेवी का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है । इनकी पूजा आदिकाल से चलती आ रही है इनके आशिर्वाद के बिना कोई भी शुभ कार्य नही होता है। यही वो देव या देवी है , जो कुल की रक्षा के लिए हमेशा सुरक्षा घेरा बनाये रखती है ।

इसलिए आपसे निवेदन है अपने कुलदेव या देवी का पता लगाओ और उनकी शरण मे जाओ अपनी भूल की क्षमा माँगो |

आपके बड़े बुजुर्ग ,आस पड़ोस की बुजुर्ग महिलाएं जरूर जानती होंगी आपकी कुल देवी कौन हैं ,या फिर आपके गोत्र के कुनबे के लोग ,काका ,ताऊ , बुआ | उन्ही से पता कीजिए ,थोड़ी कोशिश करनी होगी ,इधर उधर फ़ोन घुमाओ ,कुल देवी और उसका दिन , वा lर , तिथि का पता करो |

यहाँ पढ़ें - कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ?

यदि कुलदेवी / कुलदेवता का पता नहीं चलता है ,तो भी ये साधना की जा सकती है। सच्चे दिल से कुलदेवी की प्रार्थना की जाय तो बहुत जल्दी फलित होती है। यदि माता प्रसन्न हो जाय तो ,अपने होने का सबूत भी किसी न किसी रूप में दे देती है। या फिर घर की खुशहाली बता देती है की कुलदीवे का आशीर्वाद घर पर है।

कुलदेवी कृपा प्राप्ति साधना –

यह साधना शुक्ल पक्ष कि अष्टमी , 12 , 13, 14 तिथि को करनी है |

किसी भी दिन शुक्रवार शाम को , खीर बनाओ ( चाहे 100 ग्राम चावल की ) संध्या के समय ,यानि शाम सवा सात बजे या उसके बाद |

घर में जहाँ पूजा करते हो वहां पर एक घी का दीपक प्रज्वलित करो , उसकी लौ के पास अंगारा रखो ,अंगारे पर चुटकी भर खीर डालो ,खीर पर चम्मच से मामूली मामूली घी डालो , अंगारे पर देखो लौ आती है या नहीं |

अगर लौ आ जाती है तो हाथ जोड़ के कहो -हे कुल देवी , हे माता जी आपका ही पहरा है ,परिवार को स्वस्थ और खुशहाल करो |

और 7, 11, 21 या 108 बार इनमें से कोई एक या दोनो

( जो जैसे मानता है ) मन्त्रों का जाप कीजिए।

प्रत्येक परिवार में कुलदेवी और इष्ट देव/देवी ही होते है । कुल देवता की जगह ईष्ट का मंत्र भी कर सकते है।

कुलदेवता मंत्र —-

॥ ॐ ह्रीं कुल देवतायै मनोवांछितं साधय साधय फट्॥

कुलदेवी मंत्र —--

|| ओम ह्रीं श्रीं कुलेश्वरी प्रसीद - प्रसीद ऐम् नम : ||

साधना समाप्ति के बाद सहपरिवार आरती करे |

बाद में खीर का प्रसाद परिवार मे ही बाटना है |

बाहर किसी को नहीं देना ,इसका खास ख्याल रखना है।

3 दिन बाद सारी सामग्री जल मे परिवार के कल्याण कि प्रार्थना करते हुये प्रवाहित कर दे।

सीताराम

जय वीर हनुमान

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